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Haryana Chunav: राहुल गांधी की चाणक्य वाली चाल, एक साथ कुमारी सैलजा-भूपिंदर सिंह हुड्डा दोनों के पर कतरे!

 


Haryana Chunav: लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व नई ऊर्जा में है. केंद्रीय स्तर पर राहुल गांधी की लोकप्रियता और पार्टी के भीतर उनकी स्वीकारोक्ति दोनों बढ़ी है. यही कारण है कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व अब अपने प्रदेश नेतृत्व से पहले की तुलना में अपेक्षाकृत ज्यादा मजबूती से निपट रहा है. इसकी सबसे ताजा झलक गुरुवार को हरियाणा में देखने को मिली, जब पूर्व सांसद और भाजपा नेता अशोक तंवर ने राहुल गांधी की मौजूदगी कांग्रेस में वापसी कर ली.


यह कोई आम घटना नहीं है. हरियाणा में इस वक्त कांग्रेस सीधे तौर पर दो खेमों में बंटी हैं. इसमें पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा का खेमा भारी पड़ रहा है. दूसरी तरफ ‘उचित’ तव्वजो नहीं मिलने की वजह से सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा नाराज चल रही हैं. केंद्रीय नेतृत्व की कोशिश के बावजूद हुड्डा और सैलजा दोनों के बीच कोई पैचअप नहीं हो पाया.

प्रभावी दलित नेता
ऐसे में राज्य में मतदान से ठीक पहले राहुल गांधी की टीम ने बड़ा खेल कर दिया है. अशोक तंवर वही नेता हैं जिन्होंने 2019 में विधानसभा चुनाव से चंद महीने पहले प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाए जाने के कारण पार्टी छोड़ दी थी. फिर वह टीएमसी, आम आदमी पार्टी और भाजपा का दामन थाम लिया था. बीते लोकसभा चुनाव में वह सिरसा से भाजपा के उम्मीदवार थे. सिरसा से ही कुमारी सैलजा विजयी हुई

अशोक तंवर पुराने कांग्रेसी हैं. वह गांधी परिवार के बेहद करीब रहे हैं. वह 2009 में सिरसा से सांसद चुने गए थे. उन्होंने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से एमफिल और पीएचडी की डिग्री हासिल की है.

अशोक तंवर हरियाण में एक प्रभावी दलित नेता हैं. राज्य की करीब नौ विधानसभा सीटों पर उनका प्रभाव बताया जा रहा है. इनमें सिरसा, फतेहाबाद, ऐलनाबाद, रानियां, कालांवाली, डबवाली, रतिया, टोहना और नरवाना हैं. ये सभी सीटें सिरसा लोकसभा क्षेत्र की हैं.

सिरसा में ठीकठाक दलित वोटर्स हैं. उनकी संख्या आठ लाख से अधिक बताई जा रही है. इस क्षेत्र में करीब 3.6 लाख के आसपास जाट वोटर्स हैं. यहां कि अधिकतर सीटों पर जीत हार तय करने में इन दलित वोटर्स की अहम भूमिका होती है.

कुमारी सैलजा और हुड्डा दोनों निशाने पर
अशोक तंवर को आगे बढ़ाने में गांधी परिवार खासकर राहुल गांधी का पूरा जोर रहा है. 2019 में हुड्डा के साथ विवाद के कारण ही राहुल गांधी के चाहते हुए अशोक तंवर को प्रदेशाध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ा था. दूसरी तरह कुमारी सैलजा को हटाकर ही राज्य में अशोक तंवर को प्रदेशाध्य बनाया गया था.

राहुल के करीबी ने किया खेल
सूत्रों का कहना है कि अशोक तंवर की कांग्रेस में वापसी में कोषाध्यक्ष अजय माकन ने अहम भूमिका निभाई. हरियाणा में चुनाव से पहले दलित वोटरों को एकजुट करने के मकसद से आलाकमान ने अशोक तंवर को लाने की हरी झंडी दिखाई. अजय माकन, अशोक तंवर की पत्नी अवंतिका माकन के रिश्तेदार हैं, लिहाजा अजय ने अशोक तंवर की वापसी में बड़ी भूमिका निभाई. अवंतिका माकन भी गांधी परिवार की बेहद करीबी रही हैं. अशोक तंवर कभी राहुल गांधी के बहुत करीब और बड़े दलित चेहरा थे, बाद में हुडा से नहीं बनी इसलिए पार्टी छोड़ दिए.

केंद्रीय नेतृत्व की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तंवर को पार्टी में शामिल करने के फैसले के बाद आलाकमान ने भूपिंदर सिंह हुड्डा को इसकी जानकारी दी और कुमांरी सैलजा को सुबह 10 जनपथ बुलाकर इस बारे में बता दिया गया.

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