तारीख पर तारीख से मिलेगी निजात... तीन नए कानूनों को लागू करने वाला पहला राज्य बनेगा हरियाणा, पढ़ें क्या होगा खास?
HighLights
- हरियाणा में 28 फरवरी तक नए आपराधिक कानून लागू होंगे
- नए कानूनों में पहली बार मॉब लिंचिंग को किया गया परिभाषित
- देश की हर क्षेत्रीय भाषा में इन कानूनों को उपलब्ध कराया जाएगा
Three New Criminal laws in Haryana: हरियाणा सरकार 28 फरवरी से तीनों नए आपराधिक कानून लागू करने जा रही है। इस बात का एलान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी कर दिया है। बीते शुक्रवार को सीएम नायब सैनी ने कहा कि हरियाणा पहला राज्य बनेगा जो इन तीन नए आपराधिक कानूनों को अपने यहां लागू करेगा।
उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि 31 मार्च के लक्ष्य के विपरीत हरियाणा (Three New Criminal Laws in Haryana) मे 28 फरवरी तक नए आपराधिक कानून लागू होंगे। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि ये तीन नए कानून क्या हैं और इसमें क्या कुछ नया है। आइए, इस बार में डिटेल से जानते हैं।
क्या हैं तीन नए आपरधिक कानून?
तीन नए आपराधिक कानूनों में भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 2023 शामिल हैं। ये तीन नए कानून 1 जुलाई, 2024 से भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया संहिता,1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह ले चुके हैं।खास बात है कि जहां दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) में 484 धाराएं हैं तो वहीं, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता यानी बीएनएसएस में 531 धाराएं हैं। इसमें ऑडियो व विडियो अर्थात इलेक्ट्रॉनिक तरीके से एकत्रित किए गए सबूतों को भी प्राथमिकता दी गई है।
तीन नए आपराधिक कानूनों की अहम बातें
- नए कानूनों में पहली बार बार मॉब लिंचिंग को परिभाषित किया गया है।
- एफआईआर दर्ज होने से सुप्रीम कोर्ट तक 3 साल में न्याय मिल सकेगा।
- नए कानूनों में सभी प्रक्रियाओं के पूरा होने की समयसीमा भी तय की गई है।
- समयसीमा तय होने से तारीख पर तारीख से निजात मिलेगी।
- नए कानूनों पर लगभग 22.5 लाख पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग के लिए 12 हजार मास्टर ट्रेनर्स तैयार करने का लक्ष्य था।
- नए कानूनों में 7 साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों में फॉरेंसिक जांच को अनिवार्य किया गया है।
- कानून देश के 140 करोड़ नागरिकों को संविधान की स्प्रिट के अनुसार समय पर न्याय और आत्मसम्मान दिलाने का एक प्रोसेस है।
- नए कानूनों के तहत भी रिमांड का समय पहले की तरह 15 दिनों का ही है।
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद 158 बार इन कानूनों की समीक्षा बैठक की है।
- इन कानूनों में 60 दिनों के अंदर कुल 15 दिनों की रिमांड का प्रावधान किया गया है।
- देश की हर क्षेत्रीय भाषा में इन कानूनों को उपलब्ध कराया जाएगा।
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