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क्या त्रिकोणीय मुकाबले में फंसेंगी राव इंद्रजीत की बेटी आरती के लिए यह चुनाव अग्निपरीक्षा से कम नहीं, देखना होगा कि क्या अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा पाती हैं या नहीं....?

 


अटेली विधानसभा सीट में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला होने वाला है। य़हां राजनीतिक विरासत और जातिगत समीकरण किसी भी दिशा में जीत का अंतर पैदा कर सकते हैं। अटेली से भाजपा ने छह बार के सांसद और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव को उम्मीदवार बनाया है।

हाइलाइट्स

  • अटेली सीट पर देखने को मिल सकता है त्रिकोणीय मुकाबला
  • बीजेपी ने राव इंद्रजीत सिंह की बेटी को दिया है टिकट
  • कांग्रेस और आईएनएलडी-बीएसपी के कैंडिडेट दे रहे टक्कर

हरियाणा के अटेली विधानसभा क्षेत्र में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है। यहां राजनीतिक विरासत और जातिगत समीकरण चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। अटेली में इस बार सबकी नजरें भाजपा उम्मीदवार आरती राव पर होंगी जो छह बार सांसद और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी हैं। आरती राव पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। आरती के लिए यह चुनाव अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। देखना होगा कि क्या वो इस क्षेत्र के सबसे प्रमुख अहीरवाल नेता रहे अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा पाती हैं या नहीं।

कांग्रेस ने आरती राव के खिलाफ पूर्व विधायक अनिता यादव को मैदान में उतारा है। दोनों उम्मीदवार अहीर समुदाय से हैं, जिसकी आबादी अटेली में लगभग आधी है। अनीता यादव ने 2009 में कांग्रेस के टिकट पर इस सीट पर जीत हासिल की थी, लेकिन 2014 और 2019 में उन्हें लगातार हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पिछले दो चुनावों में हार के बावजूद पार्टी ने उन्हें फिर से उम्मीदवार बनाया है। इसकी वजह यह है कि बीजेपी सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है और अनिता यादव अहीर समुदाय के वोटों को अपनी तरफ खींच सकती हैं।

अतर लाल ने बनाया इस लड़ाई को दिलचस्प

इस चुनावी लड़ाई को और दिलचस्प बना दिया है आईएनएलडी-बीएसपी गठबंधन के उम्मीदवार ठाकुर अतर लाल ने। एक अनुभवी राजनेता, अतर लाल पिछले दो दशकों से आटेली में चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें जीत नसीब नहीं हुई है। अटेली में राजपूत मतदाता 8% हैं, लेकिन आईएनएलडी का बीएसपी के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन अतर लाल को 28% अनुसूचित जाति के वोट बैंक को साधने का मौका दे सकता है।


पिछले विधानसभा चुनाव में BJP के सीताराम यादव ने जीत हासिल की थी और उससे पहले भी साल 2014 में संतोष यादव ने BJP के तरफ से चुनाव जीता था। अब देखने वाली बात यह है कि क्या इस बार अटेली सीट से बीजेपी हैट्रिक लगाएगी या फिर कांग्रेस बाजी मारेगी। वैसे इस बार आम आदमी पार्टी भी इस रेस में है।


इस साल 4 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड। इसे लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारियां कर रही है। जहां जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में 8 अक्तूबर तक चुनाव संपन्न हो जाएंगे। वहीं महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव नवंबर में होंगे। हरियाणा में चुनाव को लेकर पार्टियां जबरदस्त प्रचार-प्रसार में जुटी हुई हैं। यहां सीधे तौर पर BJP और कांग्रेस में टक्कर है जबकि इस बार आम आदमी पार्टी भी हरियाणा में अपना दांव पेश कर रही है।



अटेली सीट पर अहीर जाती का दबदबा

अब हरियाणा के अटेली विधानसभा की बात करें तो यह सीट हरियाणा में काफी अहम मानी जाती है। इस बार इस सीट पर बीजेपी ने राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती सिंह राव को टिकट दिया है तो वहीं, कांग्रेस ने अपनी दिग्गज नेता अनिता यादव को चुनावी मैदान में उतारा है। आम आदमी पार्टी ने भी इस सीट से अपने कैंडिडेट को उतारा है और इस बार 'आप' ने सुनील यादव के उम्मीदवारी पर भरोसा जताया है। अब अगर आप इन तीनों नामों को देखें तो आपको इनमें एक चीज कॉमन मिलेगी और वह है इन तीनों की जाती। तीनों पार्टियों के उम्मीदवार अहीर जाती के हैं। तो यह बात तो साफ है कि यहां पर यादव वोटों का दबदबा है। इस सीट पर यादवों के वोट ही निर्णायक माने जाते हैं इसलिए तीनों पार्टियों ने अपनी तरफ से यादव उम्मीदवारों को ही टिकट दिया है।

दो बार से इस सीट पर जीत रही BJP

अगर आप पिछले चुनावों के भी आंकड़ों को देखें तो यहां पर जीतने वाले उम्मीदवार यादव ही थे। साल 2019 में BJP से सीताराम यादव ने जीत हासिल की थी, जिन्हें 55793 वोट मिले थे। इस समय दूसरे पायदान पर बीएसपी के कैंडिडेट अतर लाल थे। जिन्हें 37837 वोट मिले थे। इससे आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि अटेली सीट पर अहीर वोटों के अलावा दलित वोटों की भी अच्छी-खासी संख्या है। इससे पहले भी साल 2014 में बीजेपी के संतोष यादव को इस सीट से जीत मिली थी। जिन्होंने कांग्रेस की अनिता यादव को हराया था। 

किस पर भरोसा करेगी जनता
अतर लाल जमीनी स्तर पर मतदाताओं से जुड़े रहने के लिए जाने जाते हैं। आटेली में उनकी सक्रिय उपस्थिति की वजह से उन्हें कुछ अहीर मतदाताओं का समर्थन भी हासिल है। कुल मिलाकर आटेली विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है। देखना होगा कि जनता किस उम्मीदवार पर अपना भरोसा जताती है



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