Haryana Chunav: सालाना बजट 1, 89,876 करोड़ रुपये और कर्ज 3,17,982 करोड़ रुपये, हरियाणा में चुनावी वादों को पूरा करने के लिए कितने पैसे चाहिए?
चंडीगढ़. हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी अपना-अपना संकल्प पत्र (BJP Sankalp Patra) जारी किया है. कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में प्रदेश की जनता को 7 गारंटी दी है. वहीं, भाजपा ने घोषणा पत्र को संकल्प पत्र का नाम देते हुए 20 वादे किए हैं. हालांकि, इन लोक-लुभावने वादों को पूरा करना आने वाली सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा. क्योंकि चाहे कांग्रेस हो या भाजपा, इन वादों को पूरा करने के लिए हजारों करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी.
जानकारी के अनुसार, इन वादों को पूरा करने के लिए हरियाणा पर सालाना 38 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कोई भी सरकार ऐसा करती है तो प्रदेश में अन्य चीजों की कीमतें बढ़ेगी और महंगाई अनियंत्रित हो सकती है.
दरअसल, हरियाणा का सालाना बजट 1 लाख 89 हजार 876 करोड़ रुपए है, जबकि प्रदेश पर पहले से 3,17,982 करोड़ रुपये का कर्ज चढ़ा हुआ है. सरकार को सालाना 64,044 करोड़ रुपये का भुगतान करना होता है. अब नई गारंटियों और मुफ्त की योजनाओं को लागू करने के लिए सरकार को काफी मंथन करना होगा. अगर कर्ज नहीं लिया तो प्रदेश के लोगों या तो अतिरिक्त कर देना पड़ेगा या फिर खाद्य समेत अन्य चीजों के दाम में बढ़ोतरी होगी. कांग्रेस और बीजेपी नेताओं का कहना है कि वित्तीय असर देखने के बाद ही हमने ये वायदे अपने घोषणापत्र में किए है. एक-एक वायदे पर विशेषज्ञ से राय ली गई है और हरियाणा में इन्हें लागू करने में किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी.
वृद्धावस्था, दिव्यांग और विधवा पेंशन, 988 करोड़ का बोझ
हरियाणा में कांग्रेस पार्टी ने वृद्धावस्था, दिव्यांग और विधवा पेंशन को 6 हजार रुपये करने का ऐलान किया है. इस वादे को पूरा करने के लिए 988 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. मौजूदा समय में 32.95 लाख लाभार्थियों को पेंशन दी जा रही है. 3 हजार रुपये मासिक के हिसाब से सरकार को हर महीने करीब 1977 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा. इस समय आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त होता है. इस योजना के तहत रेट बहुत कम हैं, इसलिए 5 लाख तक का इलाज भी बहुत से लोग नहीं करा पाते. अभी प्रत्येक परिवार पर सरकार का खर्च हजार रुपये आता है. अब बीजेपी ने 10 लाख रुपये और कांग्रेस ने 25 लाख के फ्री इलाज का वायदा किया है, जिसका प्रीमियम ही बहुत ज्यादा होगा.
300 यूनिट बिजली मुफ्त देने से पड़ेगा सरकार के खजाने पर असर
हरियाणा में चारों बिजली कंपनियां मुनाफे में हैं. हरियाणा में पहले भी स्लैब सिस्टम लागू था. अब 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने से हरियाणा वासियों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा और साथ ही कंपनियों को आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ेगा. अब कांग्रेस 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा कर रही है, तो उसे मालूम होगा कि इससे बढ़ने वाले वित्तीय बोझ को कहां से चुकाना है. उधर, हरियाणा कांग्रेस ने महिलाओं पर फोकस किया है और वादे के तहत हरियाणा में 18 से 60 साल उम्र की महिलाओं को हर महीने 2000 रुपये दिए जाएंगे. इस ऐलान से कांग्रेस ने प्रदेश की करीब 60 लाख महिला वोटरों को साधने की कोशिश की है. इस पर करीब 1440 करोड़ रुपये का सालाना खर्च आएगा.
साथ ही कांग्रेस ने 500 रुपये में महिलाओं को सिलेंडर देने का वादा किया है।अभी हरियाणा में करीब 46 लाख ऐसे परिवार हैं, जिन्हें सरकार 500 रुपए में घरेलू गैस का सिलेंडर दे रही है. इस पर करीब 230 करोड़ रुपये का हर महीने खर्च आ रहा है. इसका सालाना खर्च 2 हजार 700 करोड़ रुपए है. उधर, हिमाचल की तरह हरियाणा में भी कांग्रेस ने ओपीएस देने का वादा किया है. हिमाचल में कांग्रेस ने ढाई लाख कर्मचारियों को भी साधने की कोशिश की थी. लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को कर्मचारियों की नाराजगी का सामना करना पड़ा था. लेकिन हरियाणा में भी अब ओपीएस की घोषणा कांग्रेस पार्टी ने की है.
फ्री बिजली पर खर्च होंगे 2500 करोड़
हरियाणा में कांग्रेस ने 300 यूनिट फ्री बिजली का भी दांव चला है. प्रदेश में करीब 45 लाख घरेलू बिजली कनेक्शन हैं. अभी बिजली का करंट टैरिफ 2500 करोड़ रुपये सालाना है. इसके अलावा, हर साल 4 प्रतिशत की करंट टैरिफ पर बढ़ोतरी भी होती है. जानकारों का कहना है कि कांग्रेस की इस घोषणा से हर साल 300 से 400 करोड़ रुपये का खजाने पर बोझ पड़ेगा.
दो लाख नौकरियों से 11.2% को साधने की कोशिश
हरियाणा में बेरोजगारी का मुद्दा चर्चा में है. कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में युवाओं को साधने के लिए 2 लाख पक्की नौकरी देने का वादा किया है. केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा के शहरी क्षेत्रों में 15 से 29 वर्ष के युवाओं की बेरोजगारी दर 11.2% फीसदी है और 2023 में हरियाणा में 37 फीसदी लोग बेरोजगार थे. चुनाव में हमेशा से ही बेरोजगारी बड़ा मुद्दा रहता है. ऐसे में कांग्रेस ने इस बेरोजगार आबादी को सीधे-सीधे टारगेट किया है.
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