BJP:हाईकमान ने अहीरवाल बेल्ट में केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत को फ्री हैंड दिया और सबसे ज्यादा चुनौतियां इसी इलाके में नजर आ रही हैं,कई बड़े चेहरे या तो चुप बैठे हैं या फिर पार्टी उम्मीदवार की जगह विरोधी की मदद में लगे,यही कारण है कि अमित शाह से लेकर राव इंद्रजीत तक को सभाओं में ये बात कहनी पड़ रही है कि लोग BJP के कैंडिडेट को देखकर नहीं, बल्कि कमल का निशान देखकर वोट दें
रियाणा की 90 सीटों पर 5 अक्टूबर को एक साथ वोट डाले जाएंगे। प्रदेश में हवा का रुख समझने के लिए दैनिक भास्कर ने अलग-अलग इलाकों में आम लोगों, पॉलिटिकल पार्टियों और एक्सपर्ट्स से बात की। इसके मुताबिक पोलिंग से 2 दिन पहले तक कांग्रेस 40 से 50 और भाजपा 22 से 32 सीटों पर मजबूत दिख रही है। BJP की सीटों का आंकड़ा बहुत हद तक इस बात पर भी डिपेंड रहेगा कि साइलेंट वोटर आखिरी समय में किस तरफ जाता है और जाट-दलित वोट बंटते हैं या नहीं।
भाजपा के लिए चैलेंज : चुनौतियों की बात करें तो भगवा पार्टी के लिए भितरघात और बागी मुश्किल पेश कर सकते हैं। भाजपा हाईकमान ने अहीरवाल बेल्ट में केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत को फ्री हैंड दिया और सबसे ज्यादा चुनौतियां इसी इलाके में नजर आती हैं। 2014 में पार्टी ने यहां की सभी 11 और 2019 में 11 में से 8 सीटें जीती थी। यहां भाजपा के कई बड़े चेहरे या तो चुप बैठे हैं या फिर पार्टी उम्मीदवार की जगह विरोधी की मदद में लगे हैं। इसी भीतरघात के चलते अहीरवाल बेल्ट में BJP के कई दिग्गज चेहरे भी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर नहीं आ रहे।
भाजपा के लिए बागी भी मुसीबत बने हुए हैं। पार्टी नेतृत्व के तमाम प्रयासों, मिन्नतों और घुड़कियों के बावजूद 15 सीटों पर उसके तकरीबन डेढ़ दर्जन बागी मैदान से नहीं हटे। यही कारण है कि अमित शाह से लेकर राव इंद्रजीत तक को सभाओं में ये बात कहनी पड़ रही है कि लोग भाजपा के कैंडिडेट को देखकर नहीं, बल्कि कमल का निशान देखकर वोट दें।
अहीरवार बेल्ट: राव का विरोध बदल सकता है समीकरण
रेवाड़ी विधनसभा:
हरियाणा का यह इलाका जहां भाजपा 2014 से स्ट्रांग रही है
राव नरबीर सिंह और अभय सिंह यादव जैसे इक्का दुका चेहरे को छोड़ दें तो पूरे अहीरवाल को वह अपने हिसाब से चलाते हैं अब की बार उनका यही स्टाईल इस बार उनकी मुसीबत बढ़ाता दिख रहा है
अटेली से अपना पॉलिटिक्सडब्यू करने जा रही उनकी बेटी पहले ही चुनाव में फसी हुई नजर आती है यहा राव विरोधी उनकी मुश्किलें बढ़ाने में जुटे हुए हैं -* नारनौल में स्थिति कुछ ठीक है
नागल चौधरी विधानसभा में टप फाइट
*महेंद्रगढ़ विधानसभा में कांग्रेस अच्छी स्थिति में है।
*कोसली विधानसभा में भी कांग्रेस मजबूत स्थिति में है
गुड़गांव विधानसभा में बीजेपी हार रही है
बादशाह विधानसभा में बीजेपी अच्छी स्थिति में है।
पटौदी विधानसभा में बीजेपी अच्छी पोजीशन में है
बावल विधानसभा में बीजेपी और कांग्रेस में कांटे का मकाबला है
रेवाड़ी विधानसभा:कुछ ऐसी स्थिति बनी हुई है कि या तो भाजपा उम्मीदवार लक्ष्मण यादव 1500 से लेकर 5 हजार वोट से जीत जाएं। अगर कांग्रेस के वोट आम आदमी पार्टी में बंट गए तो भाजपा आगे निकल जाएगी। अगर ज्यादा वोट नहीं गए तो कांग्रेस कैंडिडेट चिरंजीव राव जीत जाएंगे
अटेली विधानसभा:
यहां हलके से बाहरी उम्मीदवार (आरती राव) लेकर आई है। उम्मीदवार ऐसे शाही खानदान से है कि उनके करीबियों के पास भी उनका नंबर नहीं है। भाजपा को इससे नुकसान होगा। इसलिए कांग्रेस चुनाव में आगे निकल जाएगी।
मेवात की 3 सीटों पर कांग्रेस सेफ दिख रही है
नारनौल विधनसभा:
यहां भाजपा जीत रही है क्योंकि यहां कांग्रेस ने कैंडिडेट कमजोर उतारा
हरियाणा की अहीरवाल बेल्ट में पड़ने वाले रेवाड़ी जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर BJP में बगावत से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी टेंशन में दिखाई दिए। यही वजह है कि शुक्रवार को रेवाड़ी रैली में उन्हें मंच से इसका जिक्र करना पड़ा। शाह ने कहा- ''कुछ लोग पार्टी का अनुशासन तोड़कर निर्दलीय खड़े हैं। मैं लोगों से अपील करता हूं कि जिनके पास कमल का फूल है, उन्हें ही वोट दीजिए। शाह की तरह ही केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत भी चिंता में दिखे। राव ने मंच से कहा- ''चाहे दूसरे उम्मीदवार को टिकट मिलने से निराशा हो, तो भी पार्टी हित से बड़ा कुछ नहीं है
रेवाड़ी की बात करें तो यहां अहीरवाल बेल्ट में पड़ने वाले रेवाड़ी जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर भाजपा को बगावत का सामना करना पड़ रहा है। यहां रेवाड़ी विधानसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार लक्ष्मण सिंह यादव की सफलता की राह में बागी रणधीर सिंह कापड़ीवास ने कांटे बो रखे हैं। वहीं, बाकी सीटों पर भी बागियों ने पार्टी की टेंशन बढ़ाई हुई है।
रेवाड़ी में गुटबाजी के कारण भाजपा 2019 में भी रेवाड़ी सीट हार गई थी। कुछ इसी तरह के हालात इस बार भी बने हुए हैं। उस वक्त बागी खुलकर निर्दलीय मैदान में आ गए थे, लेकिन इस बार पार्टी में रहकर ही साइलेंट हैं, जिसकी वजह से इस बार खतरा पिछली बार के मुकाबले ज्यादा है। रेवाड़ी की तीनों सीटों पर पार्टी हाईकमान ने केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत को ज्यादा तवज्जो दी है। इसकी वजह से पार्टी के पुराने कार्यकर्ता रूठे हुए हैं।
ये है तीनों सीटों का समीकरण...
1. रेवाड़ी में कापड़ीवास की नाराजगी भारी
टिकट कटने से नेता रूठे : रेवाड़ी सीट पर BJP ने इस बार कोसली से विधायक रहे लक्ष्मण सिंह यादव को शिफ्ट किया है। लक्ष्मण पार्टी के पुराने कार्यकर्ता होने के साथ-साथ राव इंद्रजीत सिंह की भी पसंद हैं। लक्ष्मण को टिकट मिलने के बाद पार्टी के पुराने और वरिष्ठ नेता रूठ गए।
टिकट की आस में पार्टी जॉइन करने वाले पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव बागी होकर आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे है, जबकि प्रशांत उर्फ सन्नी यादव निर्दलीय मैदान में हैं। हालांकि, सबसे बड़ा खतरा भाजपा को पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास और पर्यटन निगम के पूर्व चेयरमैन डॉ. अरविंद यादव से है।
प्रचार से दूरी बनाई : टिकट कटने के बाद इन दोनों ही नेताओं ने प्रचार से पूरी तरह दूरी बनाई हुई है। रणधीर सिंह कापड़ीवास 2014 में BJP की टिकट पर चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने। 2019 में जब राव इंद्रजीत के इशारों पर उनकी टिकट कटी तो वह बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़े और 35 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए।
हालांकि, रणधीर सिंह कापड़ीवास खुद चुनाव जरूर हार गए, लेकिन BJP उम्मीदवार सुनील मुसेपुर की हार में सबसे बड़ा अहम रोल रणधीर सिंह कापड़ीवास का रहा। पार्टी से निलंबित होने के बाद लोकसभा चुनाव से पूर्व रणधीर सिंह कापड़ीवास ने फिर से BJP जॉइन की।
दो चुनावों से टिकट दी दावेदारी ठोक रहे : इस बार भी कापड़ीवास टिकट के सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन पार्टी ने टिकट नहीं दिया। वहीं, दूसरी तरफ पिछले 2 चुनावों से टिकट की दावेदारी ठोक रहे डॉ. अरविंद यादव को भी टिकट नहीं मिला। इसकी वजह से वह भी दूसरी बार साइलेंट बागी बने हुए हैं।
डॉ. अरविंद यादव और रणधीर सिंह कापड़ीवास दोनों का ही इस सीट पर खुद का अच्छा प्रभाव रहा है। ऐसे में रेवाड़ी सीट से लक्ष्मण सिंह यादव के सामने इन साइलेंट बागियों से ही निपटना बड़ी चुनौती है। जबकि, पार्टी हाईकमान की तरफ से भी इन्हें मनाने की पुरजोर कोशिशें हो चुकी हैं।
2. कोसली में बड़े चेहरे छोड़े, पार्षद चुनाव हारे उम्मीदवार को टिकट मिला
पूर्व मंत्री बिक्रम यादव ने BJP छोड़ी:इस्तीफे में लिखा- पार्टी अपने सिद्धांत से भटक गई है; राव इंद्रजीत और खट्टर के करीबी रहे
हरियाणा के रेवाड़ी जिले में भाजपा को झटका लगा है। यहां कोसली विधानसभा से टिकट कटने से नाराज पूर्व मंत्री बिक्रम यादव ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। बिक्रम ठेकेदार ने पत्र के जरिए भाजपा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भेजा।
बिक्रम ठेकेदार कोसली हलके से भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वह टिकट कटने से नाराज चल रहे थे और पार्टी उम्मीदवार प्रचार में भी नहीं जा रहे थे। उन्होंने टिकट कटने के बाद अपने समर्थकों की जनसभा बुलाकर पार्टी के नेताओं पर हमला बोला था और चुनाव लड़ने के संकेत दिए थे। हालांकि, उन्होंने नॉमिनेशन नहीं किया। अपने समर्थको के साथ कांग्रेस ज्वाइन कर ली और लोगों से अपील की कांग्रेस प्रत्याशी जगदीश यादव को भारी मतों से विजय बनाएं इससे नुकसान भाजपा को होगा सीधे-तौर पर
रेवाड़ी जिले की दूसरी सबसे अहम सीट कोसली है। यहां से BJP ने जिला पार्षद का भी चुनाव हार चुके अनिल डहीना को टिकट दिया है। अनिल राव इंद्रजीत के खास हैं, जिसकी वजह से उन्हें टिकट मिला। जबकि, टिकट की रेस में पूर्व मंत्री विक्रम ठेकेदार के अलावा CM नायब सैनी के OSD रहे अभिमन्यु यादव सहित कई नेता शामिल थे।
पार्टी ने इन सभी को दरकिनार कर राव इंद्रजीत सिंह के कहने से अनिल डहीना को टिकट दी। शुरुआत में टिकट वितरण का खुलकर विरोध भी हुआ। विरोध करने वालों में पूर्व मंत्री विक्रम ठेकेदार और रामपाल यादव 2 बड़े चेहरे थे।
दोनों ही नेता पार्टी से बगावत करने के बजाय पार्टी में ही रहकर साइलेंट बागियों वाली भूमिका निभा रहे हैं। इसके अलावा BJP के पुराने कार्यकर्ताओं ने अनिल डहीना के प्रचार से पूरी तरह दूरी बनाई हुई है। इन्हें मनाने की कोशिशें हुईं तो ये बागी होकर चुनाव लड़ने से तो इनकार कर गए, लेकिन पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में इन्हें प्रचार में नहीं देखा गया।
3. दो बार के विधायक का टिकट काटा
जिले की एकमात्र आरक्षित सीट बावल में पिछले 2 चुनावों में BJP उम्मीदवार डॉ. बनवारी लाल ने जीत दर्ज की है। दोनों बार डॉ. बनवारी लाल प्रदेश सरकार में मंत्री बने। डॉ. बनवारी लाल केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के खास होते थे, लेकिन मंत्री बनने के बाद पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर से नजदीकियां बढ़ गईं। यह बात राव इंद्रजीत सिंह को रास नहीं आई।
इसलिए, इस बार डॉ. बनवारी लाल का टिकट कट गया और हेल्थ डिपार्टमेंट से डायरेक्टर पद की नौकरी छोड़ने वाले डॉ. कृष्ण कुमार को BJP ने कैंडिडेट बनाया। डॉ. कृष्ण कुमार भी राव इंद्रजीत सिंह के खास हैं। अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती 2 बार के विधायक और मंत्री रह चुके डॉ. बनवारी लाल ही हैं।
डॉ. बनवारी लाल टिकट कटने के बाद से शांत होकर घर बैठे हैं। हालांकि, एक दिन पहले जब मुख्यमंत्री नायब सैनी रेवाड़ी से उम्मीदवार लक्ष्मण सिंह यादव के चुनाव प्रचार में पहुंचे तो डॉ. बनवारी लाल उनके साथ मंच पर जरूर नजर आए थे। जबकि, खुद के हलके में पार्टी उम्मीदवार डॉ. कृष्ण कुमार से पूरी तरह दूरी बनाई हुई है।
राव इंद्रजीत की साख दांव पर
2014 और 2019 के चुनाव में हरियाणा में BJP की सरकार बनाने में अहीरवाल बेल्ट का अहम रोल रहा है। इस बेल्ट में विधानसभा की 11 सीटें आती हैं। 2014 के चुनाव में BJP ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन 2019 में 3 सीटों के नुकसान के साथ BJP को 9 सीटें मिली थीं। इस बार BJP ने राव इंद्रजीत की पैरवी पर इस इलाके में टिकट बांटे हैं।
उनके समर्थित 7 नेताओं को टिकट और 2 उनकी पसंद के नेताओं पर मुहर लगाते हुए चुनावी मैदान में उतारा है। इसी इलाके की सबसे अहम सीट अटेली से खुद राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव को टिकट दी गई है। ऐसे में अहीरवाल बेल्ट में इस बार राव इंद्रजीत सिंह की साख भी दांव पर है। इस वजह से पिछले 15 दिनों से राव इंद्रजीत पूरे इलाके में चुनावी प्रचार के दौरान पसीना बहा रहे हैं।
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