REWARI:चेयरपर्सन द्वारा अपने चुनावी घोषणा पत्र में शहर के सौंदर्यकरण को लेकर लंबे चौड़े वादे और दावे किए गए थे,इसमें आम जनता का क्या कसूर, जिसने ऐसी सरकार को चुन लिया जिसे लोगों की समस्या से कोई सरोकार नहीं,सुविधाएं छोड़िए अगर व्यवस्थाएं ठीक ना हो तो इसे आप क्या कहेंगे....?
किसी भी शहर की सुंदरता का अंदाजा वहां मौजूद मूलभूत सुविधाओं और व्यवस्थाओं को देखकर लगाया जाता है, लेकिन सुविधाएं छोड़िए, अगर व्यवस्थाएं ठीक ना हो तो इसे आप क्या कहेंगे। जी हां, रेवाड़ी में जिस विभाग के कंधों पर शहर की व्यवस्थाएं दुरुस्त करने का जिम्मा है, वह शायद कुंभकर्णी नींद सो रहा है और उसे आमजन की किसी समस्या से शायद कोई सरोकार नहीं रह गया है।
यह सब हम यूं ही नहीं कह रहे। इसलिए भी कह रहे हैं कि करीब 3 साल पूर्व शहर की सरकार बनने से पहले चेयरपर्सन द्वारा अपने चुनावी घोषणा पत्र में शहर के सौंदर्यकरण को लेकर लंबे चौड़े वादे और दावे किए गए थे, लेकिन आज लंबा अरसा बीतने के बावजूद जब सुंदरता के नाम पर कुछ खास दिखाई नहीं दिया
अब सवाल यह भी है कि इसमें आम जनता का क्या कसूर, जिसने ऐसी सरकार को चुन लिया, जिसे लोगों की समस्या से कोई सरोकार नहीं रह गया है। अब देखना यह होगा कि क्या नगर परिषद लोगों को इस समस्या से निजात दिलवाती है या फिर लोगों को इसी हाल पर परेशान होने के लिए छोड़ दिया जाएगा…
*दरअसल, हम बात कर रहे हैं रेवाड़ी शहर की
*जहां आज भी लोग न केवल दुर्दशा का शिकार है, बल्कि नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
*बाजारों में फैले अतिक्रमण की हो
*वाहनों की पार्किंग की हो
*चौराहों पर लगी रेड लाइटों की हो
*अवैध कब्जों की हो,
*प्रॉपर्टी टैक्स की हो
*सफाई व्यवस्था की हो
शहर के हालात किसी से छिपे नहीं हैं, जिन्हें लेकर अक्सर लोगों को नगर परिषद को कोसते देखा जा सकता है।
शहर की लाइफ लाइन कहलाने वाले सर्कुलर रोड पर बने फुटपाथ पर अवैध कब्जे इस कदर हो चले हैं कि लोगों ने फुटपाथ को अपनी धरोहर ही समझ लिया है तो वही पार्किंग के नाम पर शहर में ऐसी कोई जगह नहीं, जहां लोग अपने वाहन खड़ा कर सकें। ऐसे में पूरा सर्कुलर रोड ही अवैध पार्किंग स्थल में तब्दील हो गया है और सर्कुलर रोड पर जगह जगह खड़े वाहन शहर की सुंदरता में ग्रहण का काम कर रहे हैं।
-वहीं शहर के प्रमुख बाजारों में फैले अतिक्रमण के कारण दुपहिया वाहन तो दूर पैदल लोगों का भी इन बाजारों से गुजरना दुश्वार हो गया है।
-जनता की गाढ़ी कमाई के लाखों रुपए खर्च कर चौराहों पर लगी रेड लाइटें सफेद हाथी बनी खड़ी दिखाई दे रही है।
-वहीं सर्कुलर रोड पर सड़क के बीचो-बीच फैला बिल्डिंग मेटेरियल भी वाहनों के आवागमन में किसी बड़ी बाधा से कम नहीं है। ऐसे में वाहनों के सुचारू संचालन में ट्रैफिक पुलिस भी अपने आपको असहाय महसूस करती है।
-लोगों की सुविधा के लिए सड़कों पर लगी स्ट्रीट लाइटें यहां तक कि लाखों खर्च कर लगाई गई
-महाराजा लाइटें भी अधिकांश जगहों पर शो पीस ही साबित हो रही है।
-वहीं शहर की गलियों से लेकर सड़कों तक गंदगी के अंबार भी कम नहीं है।
उपायुक्त महोदय के निर्देश के बावजूद अभी तक शहर में नालों की सफाई भी ठीक से नहीं हो पाई है।
-वहीं प्रमुख बाजारों में सड़क के बीचो बीच खड़ी रेहड़ियों के लिए नगर परिषद कोई जगह तक चिन्हित नहीं कर पाई है।
-शहर की सड़कों से लेकर चौराहों तक अनेक स्थानों पर बिना किसी टैंडर के लगे होल्डिंग भी शहर की दुर्दशा को बढ़ाने में पीछे नहीं हैं। इस पर भी नगर परिषद का कोई नियंत्रण नहीं है।
शहर में जब भाजपा की सरकार बनी थी तो लोगों को नवनियुक्त चेयरपर्सन से काफी उम्मीदें थी, लेकिन जैसे-जैसे वक्त निकलता गया, लोगों की उम्मीदों पर भी पानी फिरता चला गया शहर की सरकार बने आज करीब डेढ़ साल से ज्यादा वक्त बीत गया है, लेकिन शहर के हालातों में कोई खास सुधार नहीं हो सका और यह हाल तो तब है जब शहर से लेकर प्रदेश और देश में एक ही पार्टी की सरकार है।
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