रेवाड़ी :सवाल जब सरकारी जमीन पर दुकानें बन रही थी, उस समय नगर परिषद के अधिकारी कहां चले गए थे, इस पूरे घटनाक्रम में ना ढुलगुच का कुछ बिगड़ा और ना जिम्मेदार अधिकारियों का, दुकानदार बर्बाद होकर वहीं चले गए जहां से आए थे
हरियाणा/ रेवाड़ी
-सवाल
1.अवैध दुकानें जब बन रही थी उस
समय तमाशा देख रहे नप अधिकारी
वैध कैसे हो गए.. ?
-
.2.बदमाश ढुलगुच ने पगड़ी व किराया वसूल किया। उसके बाद मौका लगते ही प्रशासन ने जेसीबी की मदद
3.से सारी कसर पूरी कर दी। इस पूरे घटनाक्रम में ना ढुलगुच का कु छ बिगड़ा और ना जिम्मेदार अधिकारियों।
4.दुकानदार बर्बाद होकर वहीं चले गए जहां से आए थे।
हरियाणा के रेवाड़ी में शुक्रवार को भारी पुलिस बल
के साथ नगर परिषद ने बदमाश
सुनील ढुलगुच के इशारों पर बनी
44 अवैध दुकानों को ढहाया गया
जिस ताबड़तोड़ तरीके से अवैध
निर्माण को ढहाया गया उसमें कई
सवाल भी दफन कर दिए गए
जिसे जिंदा रखना जरूरी है ।
सबसे बड़ा और अह्म सवाल
जिस दुकानदारों ने पगड़ी
देकर किराए पर इन दुकानों को
वाल्मिकी समाज के ट्रस्ट के
अंतर्गत ली थी। उनका कसूर
क्या है। उन्होंने तो सरकारी जमीन
पर दुकानें नहीं बनाई थी। जब
यह दुकानें गलत ढंग से बन
रही थी उस समय नगर परिषद
के अधिकारी कहां चले गए थे।
क्या उस समय उनकी आंखों पर
पटटी बांध दी गई थी। कई सालों
से दुकानदार किराए पर अपना
व्यवसाय कर रहे थे। इस दौरान
नप ने उन्हें अलर्ट क्यों नहीं किया।
यह कार्रवाई उस समय की गई है
जबकि सुनील ढुलगुच का डर
जेल में सड़ रहा है और उसकी
गैंग पूरी तरह से बिखर चुकी है।
मतलब साफ है कि जब ढुलगुच
का खौफ था उस समय नप का
कानून सहमा हुआ बिल में दुबका
हुआ था। जब उसका असर खत्म
हुआ यहीं कानून बिल से बाहर
निकल कर सड़कों पर
जेसीबी की शक्ल में
इतरा रहा है। जहां तक
विपक्षी नेताओं की इस
कार्रवाई पर आलोचना
करने की बात है।
कायदे से जब ये
दुकानें बन रही थी उस
समय कांग्रेस विधायक
चिरंजीव राव के पिता
कप्तान अजय सिंह
यादव लगातार छह बार
विधायक के साथ 10 साल तक
कांग्रेस सरकार में ताकतवर मंत्री
रहे।उस समय अवैध निर्माण पर
उनकी खामोशी भी कई तरह के
सवाल खड़े करती हैं। उनका कसूर क्या है।
कायदे से जिस तरह इन दुकानों
को ढहाया गया उसी तरह दुकानों
के बन जाने का तमाश देख रहे
अधिकारियों के खिलाफ भी बड़ी
कार्रवाई होनी चाहिए। ढुलगच व
अधिकारियों के खेल में दुकानदारों
को जिस तरह से बलि का बकरा
बनाया गया वह सीधे तौर यह
साबित करता है कि सिस्टम में
जिसकी लाठी उसकी भैस वाला
कानून चलता है। दुर्भाग्य से इस
कार्रवाई में दुकानदार भैस बना
दिया गया। पहले ढुलगुच ने लाठी
के जोर पर पगड़ी व किराया
वसूल किया। उसके बाद मौका
लगते ही प्रशासन ने जेसीबी की
मदद से सारी कसर पूरी कर दी।
इस पूरे घटनाक्रम में ना ढुलगुच
का कुछ बिगड़ा और ना जिम्मेदार
अधिकारियों। दुकानदार बर्बाद
होकर वहीं चले गए जहां से आए
थे।
Comments
Post a Comment