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हरियाणा में नौकरियों का फर्जीवाड़ा : पैसे लेने वाले ही नहीं देने वालों पर भी गिरेगी गाज

 


हरियाणा लोक सेवा आयोग परीक्षा (अनुचित साधन निषेध) एक्ट लगने से परेशानी बढ़ना तय। 10 सितंबर से हुई लागू हो चुका है नया कानून, विजिलेंस तैयार कर रही अभ्यर्थियों की सूची


हरियाणा में नौकरियों के फर्जीवाड़े में पकड़े गए तीनों आरोपियों के साथ-साथ अब उन लोगों पर भी गाज गिरने वाली है, जिन्होंने नौकरी के लिए पैसे दिए हैं। इस हाईप्रोफाइल मामले में हरियाणा में पहली बार भ्रष्टाचार अधिनियम के साथ-साथ तीन माह पहले बना हरियाणा लोक सेवा आयोग परीक्षा (अनुचित साधन निषेध) अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया। इस कानून के लगने से न केवल पकड़े गए एचसीएस अनिल नागर, अश्वनी शर्मा और नवीन की दिक्कतें बढ़ेंगी, बल्कि उन युवाओं के लिए यह कानून खतरा बढ़ गया जिन्होंने परीक्षा के लिए पैसे दिए हैं।

पिछले कुछ सालों से हरियाणा में लगातार हुए पेपर लीक मामलों को रोकने के लिए तीन माह पहले हरियाणा ने नया कानून बनाया है। विधानसभा में पारित होने पर राज्यपाल की मंजूरी के बाद 10 सितबंर से यह लागू हो गया है। इस फर्जीवाड़े में पीसी एक्ट के साथ-साथ नकल विरोधी कानून भी लगाया गया है। कानून के जानकार बताते हैं कि इस कानून के तहत परीक्षा में न केवल पैसे लेने वाले, बल्कि देने वाले भी जिम्मेदार हैं।

कानून में उनके लिए भी सजा और जुर्माने के प्रावधान किए हैं। ऐसे में अब उन युवाओं की परेशानी बढ़ने वाली है, जो डेंटल सर्जन, एचसीएस प्री परीक्षा में पैसे देकर पास हुए हैं। विजिलेंस ब्यूरो दस्तावेजों और रोल नंबर के हिसाब से ऐसे युवाओं की सूची तैयार कर रहा है। जल्द ही विजिलेंस इनको पूछताछ में शामिल करने की तैयारी कर रहा है। 

नागर मान चुका 18 पास कराए
अदालत में रिमांड पेपर के आधार नागर ने माना है कि उसने कुल 18 अभ्यर्थी पास कराए। इनमें एससीएच के 5 और डेंटल सर्जन के 13 अभ्यर्थी शामिल हैं। जबकि विजिलेंस ने इसके पास से कुल 36 ओएमआर शीट बरामद की हैं। इसके अलावा, अश्वनी शर्मा और नवीन ने माना है कि उन्होंने 40 स्टाफ नर्स, वीएलडीए 4 और एएनएम के 15 उम्मीदवार पास कराए हैं। कानून के जानकारों का कहना है कि विजिलेंस द्वारा जुटाए गए सबूत और जांच के एंगेल पर पूरा केस निर्भर करेगा।

नए कानून के तहत सख्त हैं सजा के प्रावधान
नकल विरोधी कानून के तहत पेपर लीक करने वाले को 7 से 10 वर्ष कैद और 10 लाख रुपये तक जुर्माना। नकल करने पर अभ्यर्थी को 2 वर्ष की कैद और 5 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है। नुकसान की भरपाई के लिए आरोपी की प्रॉपर्टी नीलाम भी की जा सकेगी। वहीं, पेपर तैयार, छापने, कोडिंग, वितरण, मूल्यांकन करने वाले, सेंटरों तक पहुंचाने वाले, भर्ती एजेंसी, अभ्यर्थी, सरकारी अधिकारी, परीक्षा केंद्र पर तैनात स्टाफ दायरे में आएंगे। 

भ्रष्टाचार उन्नमूलन अधिनियम में 2019 में संशोधन किया गया है। इसके तहत पैसे लेने वाले के साथ देने वाला भी बराबर का जिम्मेदार है। दूसरा, नकल विरोधी कानून में परीक्षा षड्यंत्र में शामिल सभी के लिए सजा व जुर्माने का प्रावधान है



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