हरियाणा/रेवाड़ी। जिले में घटे कोरोना संक्रमण के बीच रक्षाबंधन पर बहनों के लिए निशुल्क यात्रा में टीकाकरण की बाध्यता ने महिलाओं की परेशानी को बढ़ा दिया है। इस बार कोरोना महामारी के चलते सरकार ने बसों 50 प्रतिशत सवारी की अनुमति दी है। हालांकि सफर के लिए कोराना टीके की पहली डोज लगवाना अनिवार्य किया है। इस नए नियम के चलते टीकाकरण केंद्रों पर काफी भीड़ रहती है।
जिले में अभी तक केवल 40 प्रतिशत महिलाओं का टीकाकरण हुआ है। ऐसे में सवाल उठता है कि बिना टीका लगवाए महिलाएं बस में कैसे मुफ्त सफर कर सकेंगी। बता दें कि हर साल प्रदेश सरकार महिलाओं को रक्षाबंधन पर निशुल्क सफर कराती है। रक्षाबंधन के दिन बसों व ट्रेनों में काफी भीड़ रहती है। हर बार की तरह इस बार भी रक्षाबंधन पर महिलाओं की भीड़ रहने की उम्मीद है। लेकिन भीड़ की रोकथाम व कोरोना महामारी से बचाव के लिए प्रशासन ने अभी तक कोई योजना नहीं बनाई है। पिछली बार लगभग 25 हजार महिलाओं ने रक्षाबंधन पर मुफ्त सफर किया था।
40 प्रतिशत महिलाओं ने लगवाया है टीका
पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री मनोहर ने 21 अगस्त दोपहर 12 बजे से 22 अगस्त तक महिलाओं के लिए रोडवेज व परमिट बसों में मुफ्त सफर करने के आदेश जारी किए थे। साथ ही बसों में 50 प्रतिशत सवारी भरने व सफर करने वाली महिला के लिए कोराना टीके के पहली डोज लगवाना अनिवार्य किया है। 2011 की जनगणना के अनुसार रेवाड़ी जिले में 4 लाख 25 हजार 997 महिलाएं हैं। फिलहाल अभी जिले में लगभग 4 लाख 85 हजार महिलाएं हैं। इनमें केवल 2 लाख 13 हजार 800 महिलाओं को ही टीका लगा है। इस नए नियम के आने के बाद टीकाकरण केंद्रों में महिलाओं की भीड़ बढ़ रही है। 18 अगस्त को लगभग 12 सौ महिलाओं ने टीका लगवाया है। वहीं बसों की संख्या की बात करें तो वर्ष 2019 में विभाग के पास 133 बसें थी। लेकिन अभी विभाग ने केवल 110 बसों को ही रूट पर लगाया हुआ है। अगर भीड़ पहले जितनी रहती है तो 50 प्रतिशत सवारी बैठाने के नियम के कारण यात्रियों को कई घंटों तक बसों का इंतजार करना पड़ सकता है।
परमिट वाली बसों के संचालक वसूलते हैं किराया:
रोडवेज विभाग के सभी नियम परमिट वाली बसों में भी लागू होते हैं। रक्षाबंधन पर परमिट बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त सफर का नियम हैं। लेकिन अक्सर देखा जाता है कि रक्षाबंधन पर परमिट बस संचालक महिलाओं से किराया वसूल करते हैं। महिलाओं अपनी शिकायत लेकर रोडवेज विभाग के पास जाती हैं। लेकिन रोडवेज के अधिकारी महिलाओं को परमिट बसों पर अधिकार नहीं होने की बात कहकर टाल देते हैं। महिलाओं को आरटीए कार्यालय में शिकायत करने की बात कही जाती हैं। वहीं आरटीए विभाग भी महज खानापूर्ति तक सिमटकर रह जाता है। संवाद
इस संबंध में रेवाड़ी के रोडवेज महाप्रबंधक अशोक कौशिक ने कहा कि टीके की शर्त को लेकर कुछ बातें सामने आई थीं। लेकिन उच्चाधिकारियों से बात करके इस शर्त को हटवाया जा रहा है। महिलाओं की यात्रा में किसी प्रकार की परेशानी नहीं आने दी जाएगी।
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