चंडीगढ़। गुरुग्राम, फरीदाबाद, महेंद्रगढ़ सहित हरियाणा में अक्टूबर तक लाल डोरा खत्म करने के लक्ष्य के तहत अभी तक 6329 गांवों में ड्रोन मैपिंग का काम पूरा हो गया है। इनमें से 5333 गांवों का डाटा प्रोसस किया जा चुका है। अब मंगलवार से सर्वे आफ इंडिया द्वारा कृषि भूमि की मैपिंग का काम शुरू किया जाएगा। छह महीने में यह कार्य पूरा करने का लक्ष्य है।
वित्तायुक्त और राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने शनिवार को उपायुक्तों संग स्वामित्व योजना की समीक्षा में बताया कि कृषि भूमि की मैपिंग का सारा खर्च प्रदेश सरकार उठाएगी। स्वामित्व योजना के तहत 1990 गांवों में एक लाख 63 हजार 262 संपत्तियों का पंजीकरण किया गया है। 1963 गांवों में एक लाख 59 हजार 41 संपत्ति कार्ड वितरित किए गए हैं। गांवों में विशेष अभियान और शिविर लगाकर पंजीकरण प्रक्रिया में तेजी लाने का प्रयास किया जा रहा है। अक्टूबर तक टाइटल डीड के पंजीकरण और वितरण का काम पूरा कर लिया जाएगा।
वित्तायुक्त ने बताया कि लाल डोरा मुक्त होने से गांव की संपत्ति को विशेष पहचान मिलती है। अचल संपत्ति पर बैंक द्वारा लोन के साथ ही जमीदारों को जमीन बेचने और खरीदने का मालिकाना हक भी मिलता है। उन्होंने उपायुक्तों को निर्देश दिया कि वे गांवों में प्रचार कराएं कि स्वामित्व परियोजना के संपत्तियों का पंजीकरण मुफ्त में किया जा रहा है, इसलिए सभी ग्रामीणों को तहसील-सब तहसील में जाकर अपनी संपत्ति का पंजीकरण कराना चाहिए।
गांवों में लाल डोरे का मतलब ऐसी जमीन से है जिसका उपयोग आमतौर पर बिना किसी राजस्व रिकार्ड के आवासीय उद्देश्यों के लिए किया जाता है। लाल डोरा शब्द का प्रयोग पहली बार वर्ष 1908 में एक गांव की बस्ती (आबादी) भूमि को परिभाषित करने के लिए किया गया था। इसका उपयोग केवल गैर कृषि उद्देश्यों के लिए किया गया था। लाल डोरा को कृषि भूमि से अलग करने के लिए राजस्व विभाग ग्राम विस्तार भूमि के चारों ओर लाल धागा (लाल डोरा) बांधता था। लाल डोरा को भवन उपनियमों, निर्माण कानूनों, अनुसूचित क्षेत्रों से छूट दी गई थी, जिसके कारण बेतरतीब विकास हुआ। पहले लाल डोरा में मकान या जमीन के लिए कोई रजिस्ट्री नहीं होती थी, जिससे परिवारों और विभिन्न वर्गों में टकराव होता था।
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