दिल्ली-जयपुर-अजमेर रूट पर स्थित रेवाड़ी रूट पर भी रेलवे के इलेक्ट्रिक युग की शुरूआत हो चुकी है। रेलवे प्रशासन की तरफ से नवंबर माह में दिल्ली-रेवाड़ी होते हुए अजमेर तक के रूट को इलेक्ट्रिक कर दिया गया है। इसके अलावा वाया नारनौल होते हुए भी अजमेर तक का रूट इलेक्ट्रिफिकेशन हो चुका है। रेलवे की तरफ से यहां पर फिलहाल अजमेर तक चलने वाली ट्रेनों को इलेक्ट्रिक इंजन से चलाया जा चुका है।
वहीं नारनौल रूट पर जनशताब्दी एक्सप्रेस में इलेक्ट्रिक इंजन लगाया जा चुका है। चूंकि अभी कोविड की वजह से पैसेंजर ट्रेनें बंद है इसलिए रेवाड़ी-दिल्ली के लिए चलने वाली डेमू भी ईएमयू में बदल जाएगी। रेवाड़ी-दिल्ली के बीच कोविड से पहले 11 पैसेंजर ट्रेनें चलती थी। इलेक्ट्रिक इंजन लगने से रेवाड़ी-दिल्ली का सफर भी 2 घंटे की बजाय 1 घंटे का हो जाएगा।
2024 तक पूर्ण रूप में साकार होगा
एनसीआर शहरों के लिए लिए महत्वपूर्ण ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट एमआरआरटीएस और मेट्रो की तरफ भी कदम बढ़ चले हैं। मॉस रेपिड रेलवे एजेंसी की तरफ से जिले में दिल्ली-जयपुर राजमार्ग के साथ-साथ पिलर बनाने के लिए मिट्टी सैंपलिंग के साथ उनके ढांचे बनाने का काम काम शुरू कर दिया गया है। हालांकि यह प्रोजेक्ट लंबा है लेकिन इसके 2024 तक पूर्ण रूप में साकार होने की उम्मीद है जिसके बाद एनसीआर के शहरों के लिए यातायात बेहद सुगम हो जाएगा।
आउटर कॉलोनियों की राह सुगम
नए साल में शहर के डबल फाटक पर बनने वाले अंडरपास का काम भी पूरा हो जाएगा। रेलवे की तरफ से इसका काम पूरा किया जा चुका है। अब लोक निर्माण विभाग की तरफ से इसके दोनों तरफ सुरक्षा दीवार से लेकर सड़क का काम किया जा रहा है। 21 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस अंडरपास का काम नवंबर तक पूरा होना था लेकिन कोविड की वजह से यह प्रोजेक्ट भी देरी से पूरा हो रहा है। मार्च तक इसका काम पूरा हो जाने की संभावना है। अंडरपास बनने के बाद शहर की आउटर कॉलोनियों के लिए राह बेहद आसान हो जाएगी।
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