रेवाड़ी नगर परिषद अध्यक्ष पद के चुनाव में वोटों के बिखराव के बीच आखिर कमल खिल गया। भाजपा प्रत्याशी पूनम यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी उपमा यादव को 2087 मतों से हराकर जीत दर्ज की। वोटिंग के दिन तक अलग-अलग अनुमानों में जीत की दावेदारों में गिनी जा रही कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम यादव बड़े अंतर के साथ तीसरी नंबर पर रही।
ये अपने आप में ये बड़ा उलटफेर रहा। धारूहेड़ा में निर्दलीय प्रत्याशी कंवर सिंह ने सबको चौंकाते हुए 632 वोटों से जीत दर्ज की। यहां जजपा-भाजपा का गठबंधन कमाल नहीं कर सका। वोटों की संख्या के हिसाबसे जजपा उम्मीदवार मानसिंह छठे नंबर पर रहे। धारूहेडा में सिर्फ मानसिंह ही किसी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे, जबकि बाकी सभी 9 प्रत्याशी निर्दलीय उतरे।
रेवाड़ी में सिर्फ पार्षद पद पर सिर्फ भाजपा ने ही सिंबल पर चुनाव लड़ा। शहर के 31 में से 28 वार्डों में प्रत्याशी उतारे। जिनमें से 7 में ही जीत दर्ज कर पाए। रेवाड़ी में कांग्रेस ने दावा किया है के उनके 12 समर्थित उम्मीदवार जीते हैं। धारूहेड़ा के कुल 17 वार्डों में किसी भी पार्टी ने पार्षद के चुनाव सिंबल पर नहीं लड़े। जजपा ने 4 वार्डों में समर्थित प्रत्याशी की जीत का दावा किया है।
33 माह की देरी से हुए चुनाव
रेवाड़ी नगर परिषद हाउस का पिछला कार्यकाल मार्च 2018 तक था। उसी दौरान चुनाव हो जाने चाहिए थे, मगर नई पुरानी वार्डबंदी के बाद मामला कोर्ट में होने के चलते चुनाव अब 33 माह की देरी के बाद हो पाए। धारूहेड़ा के चुनाव में भी सालभर की देरी है। पिछले चुनाव 2014 में हुए थे। लिहाजा 2019 में चुनाव होने थे, मगर नहीं हो पाए। कार्यकाल पूरा होने के बाद से ही रेवाड़ी और धारूहेड़ा दोनों ही निकायों का कामकाज बतौर प्रशासक एसडीएम ही देख रहे थे।
भाजपा ने की कांग्रेस की बराबरी; तीसरी बार प्रधान बनाने में कामयाब
आमतौर पर जिसकी सरकार रही है, नगर परिषद की प्रधानी पर उसी का दावा मजबूत रहा है। रेवाड़ी नगर पालिका से नगर परिषद बनने के बाद 25 साल में 6 प्रधान बने हैं। इनमें सबसे अधिक 3 बार कांग्रेसियों ने ही सत्ता संभाली हैं। इसकी बड़ी वजह यही रही है कि रेवाड़ी विधानसभा सीट पर लंबे समय तक कैप्टन अजय सिंह यादव का राज रहा है।
एक बार इनेलो तो एक बार भाजपा के सीधे समर्थन से प्रधान बने। जबकि एक बार भाजपा के अप्रत्यक्ष समर्थन से भी अध्यक्ष चुना गया। इस बार के समीकरण दोनों ही मुख्य पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण थे। मगर भाजपा जीतने में कामयाब हुई। इसके साथ ही भाजपा ने कांग्रेस की बराबरी कर ली। कांग्रेस के बाद अब तीसरी बार भाजपा का प्रधान बना है।
6 योजनाओं में इनके हाथ प्रधानी...
- 1995 : सरोज भारद्वाज नगर परिषद की अध्यक्ष चुनी गई। कांग्रेस का समर्थन रहा।
- 1995 : इसी वर्ष में सुचित्रा चांदना प्रधान बनीं। इन्हें भाजपा का अप्रत्यक्ष समर्थन था।
- 2000 : हरीश अरोड़ा ने नप की कमान संभाली। ये इनेलो के समर्थन से जीते।
- 2005 : विजय राव चेयरमैन बने। जो कि कांग्रेस के समर्थन से कुर्सी पर बैठे।
- 2013 : शकुंतला भांडोरिया के हाथ कमान आई। ये भी कांग्रेस के समर्थन से जीत पाईं।
- 2016 : विनीता पीपल कुर्सी पर बैठी। भाजपा के समर्थन से जीती।
- 2020 : पूनम यादव ने निर्दलीय उपमा को हराया है। इन्हें भी भाजपा ने बनाया।
25 साल में 7 प्रधान, इनमें 5वीं बार महिला को कमान
नगर परिषद की कमान ज्यादातर समय महिला प्रधान के हाथ रही है। यह आंकड़ा इसलिए भी बना, क्योंकि दो योजना में तो 2-2 महिला प्रधान बन गई। वर्ष 1995 में सरोज भारद्वाज बनी, कुछ माह में ही सत्ता बदलकर सुचित्रा चांदना के पास आ गई। 2013 में शकुंतला भांडोरिया को कमान मिली, जो कि 3 साल में विनीता पीपल को मिल गई। अब पूनम यादव 5वीं महिला प्रधान हैं।
रेवाड़ी नगर परिषद
- बीजेपी प्रत्याशी पूनम यादव 25965 वोट मिले। उन्होंने निकटतम प्रतिद्वंदी उम्मीदवार उपमा यादव को 2087 वोटों से हराया।
- निर्दलीय प्रत्याशी उपमा यादव को 23878 मिले।
- कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम यादव को 15271 वोट मिले।
- चौथे नंबर पर बीएसपी प्रत्याशी मंजू कुमारी ने 4114 लिए।
- निर्दलीय प्रत्याशी निर्मला राव ने 3262 तथा निर्दलीय प्रत्याशी व ज्योति रानी ने 1086 वोट प्राप्त किए।
2008 में बनी नगर पालिका धारूहेड़ा; मिला चौथा प्रधान
नपा धारूहेड़ा का गठन वर्ष 2008 में हुआ था। तब से अब तक 4 प्रधान बने हैं। सबसे पहले पवन राव नगर पालिका के चेयरमैन की कुर्सी पर बैठे थे। मगर बाद में इन्होंने कुर्सी छोड़ दी थी। सुदेश बोहरा को पार्षदों ने सर्वसम्मति से कुर्सी पर बैठाया। वर्ष 2014 मेंं प्रेम राव ने जीत दर्ज की। अब पहली बार प्रत्यक्ष चुनाव हुए हैं। इसमें कंवर सिंह को चौधर मिली है। 2008 में नपा बनी तब कंवर सिंह धारूहेड़ा के सरपंच थे। अब पहली बार प्रत्यक्ष चुनाव हुए हैं तो वे ही चेयरमैन बने हैं।
धारूहेड़ा नगरपालिका
- नपा धारूहेडा के चेयरमैन पद के उम्मीदवारों में कंवर सिंह कोे 3048 वोट मिले। संदीप बोहरा को 632 वोटों से हरायाा। भाजपा से बागी हुए बोहरा को 2416 वोट मिले।
- तीसरे नंबर पर बाबूलाल को 2280, कुमारी राज को 2160, खेम चंद को 2061, जजपा के प्रत्याशी मान सिंह को 1657, शिवदीप को 1536, दिनेश राव को 793, सूदासन को 100, महेश चंद को 83 वोट मिले।
- अब पूनम के हाथ रेवाड़ी नप की कमान
नाम- पूनम यादव, उम्र- 49 वर्ष शिक्षा- बीए राजनीतिक अनुभव- पूर्व पार्षद, पति बलजीत यादव भी पार्षद रह चुके।
जीत की वजह... किन फैक्टर ने काम किया?
पूनम यादव को पार्टी की टिकट के बाद किसी तरह का विरोध नहीं रहा। पूनम यादव और उनके पति बलजीत यादव के खुद के पार्षदी का अनुभव और किसी गुटबाजी में नहीं होने का फायदा मिला। विधानसभा की तरह इस बार भाजपा सार्वजनिक रूप से बंटी हुई नजर नहीं आई। राव विरोधी और समर्थक सभी विज्ञापनों से लेकर कार्यक्रमों में साथ नजर आए।
क्या रहेंगी प्राथमिकता?
हमारी प्राथमिकता नगर परिषद की कार्यप्रणाली को सहज और शहरवासियों की सुविधा के अनुकूल बनाना है। सिस्टम को पारदर्शी बनाएंगे। शहर की सड़कों और सफाई के मुद्दे पर भी पूरा फोकस रहेगा, क्योंकि बाहर से कोई व्यक्ति आता है तो सड़कों और सफाई से ही विकास नजर आता है। इसके अलावा संकल्प पत्र में जो मुद्दे शामिल किए, सभी पूरे करने का प्रयास किया जाएगा। हमारी जीत में सबसे महत्वपूर्ण योगदान पार्टी की एकजुटता का रहा। -पूनम यादव, नवचयनित प्रधान।
कंवर सिंह बने धारूहेड़ा नपा प्रधान
नाम- कंवर सिंह, उम्र - 56 वर्ष
शिक्षा - मैट्रिक
जीत- 632 वोट से
राजनीतिक अनुभव- पूर्व सरपंच
जीत की वजह... किन फैक्टर ने काम किया?
जजपा प्रत्याशी मानसिंह और निर्दलीय शिवदीप सिंह एक ही परिवार से हैं। संदीप बोहरा भाजपा के युवा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देकर निर्दलीय उतरे। इन सभी से चुनावी समीकरण बदला और वोट बंट गए। कंवर सिंह का धारूहेड़ा में अपना भी प्रभाव रहा है। यही वजह रहा कि 3048 वोट लेकर भी वे जीत गए।
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