बरोदा उपचुनाव किसानों, कर्मचारियों, मजदूरों, दुकानदारों और छोटे कारोबारियों के लिए एक मौका है। ये मौका लगातार जनविरोधी फैसले ले रही सरकार को सबक सिखाने का है। बरोदा की जनता ये मौका नहीं चूकेगी और वोट की चोट से बीजेपी-जेजेपी सरकार से उसकी कारगुजारियों का बदला लेगी। ये बात राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहीं।
दीपेंद्र का कहना है कि बरोदा के नतीजों के साथ ही गठबंधन सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी। आने वाले दिनों में बरोदा में कांग्रेस की जीत और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनना तय है। इसलिए वोटिंग करते हुए जनता न सिर्फ भूतकाल में सरकार द्वारा की गई अनदेखी को ध्यान में रखेगी, बल्कि प्रदेश की राजनीति के भविष्य को भी तय करेगी।
राजनीतिक गलियारों और जनता के बीच में ये चर्चा आम है कि गठबंधन सरकार पूरी तरह लड़खड़ा चुकी है और कभी भी गिर सकती है। खुद बीजेपी के नेता और सरकार के सहयोगी विधायक बगावती तेवर अपनाए हैं। उन्हें मालूम है कि इस सरकार के साथ खड़े होने का मतलब अपने राजनीतिक भविष्य को खतरे में डालना है।
जैसे ही बरोदा में कांग्रेस जीत का परचम लहराएगी तो सरकार की बैसाखी बने इन विधायकों की बगावत भी खुलकर सामने आएगी। सरकार के सहयोगी विधायकों के दिल में असंतोष की जो आग सुलग रही है वो उपचुनाव के बाद ज्वाला का रूप धारण कर लेगी और ये सरकार अपनों के असंतोष के बोझ से गिर जाएगी।
जिस तरह से सरकार ने किसानों पर कृषि कानून थोपे हैं, उससे गठबंधन के नेताओं और मंत्रियों का जनता के बीच में जाना मुश्किल हो गया है। हर जगह उन्हें विरोध का सामना करना पड़ता है। माहौल को भांपते हुए सरकार के अधिकतर नेता तो बरोदा में चुनाव प्रचार बीच में ही छोड़कर भाग गए हैं।
नए कर्मचारी भर्ती करने के बजाय सरकार पुराने और कच्चे कर्मचारियों की छंटनी करने में लगी है। एक लाख एचटेट पास जेबीटी भर्ती के इंतजार में ओवर एज होते जा रहे हैं। ना कोई सरकारी भर्ती निकल रही है और न ही प्राइवेट रोजगार उत्पन्न हो रहे हैं। क्योंकि प्रदेश में किसी तरह का नया निवेश नहीं हो रहा है। यही वजह है कि हरियाणा में बेरोजगारी अपने चरम पर है। हरियाणा का युवा देश में सबसे अधिक बेरोजगारी दर झेल रहा है।
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