इस चुुनाव मेंं राव को चुुनौती विरोधियोंं सेे ज्यादा रामपुुरा हाउस मेंं फैैल चुुकेे बाजारू कार्यकतार्ओं की तरफ सेे बनाए माहौल सेे ज्यादा मिलेेगी,लोकसभा चुुनाव मेंं इतनेे कम वोटोंं सेे जीत नही मिलती अगर वेे अपनेे आस पास चाटुुकारिता पर आंंख मूंंद कर भरोसा नही करतेे,50 प्रतिशत समर्पित कार्यकर्ता मौजूूदा हालात को देेखकर पूूरी तरह सेे खामोश,या फिर चुुपचाप खुुद को एक दायरेे मेंं सिमेेट चुुकेे
राामपुुराा हााउस को लंंबेे समय सेे
समझतेे, जाानतेे और इसकी जड़ोंं
सेे निकलनेे वााली आवााज को
पहचाानेे वाालोंं की नजर मेंं अब
यह हााउस पहलेे वाला नही रहा।
पिछलेे कुुछ साालोंं सेे प्रत्यक्ष
और अप्रत्यक्ष तोर पर इसमेंं
कार्यकतार्ओं केे नाम पर ऐसी
जमात अपनी जड़ेे जमाती जा रही
हैै जिसका रास्ता खेेत खलिहाान,
गांंव की चौपाल सेे ना होकर ऐसेे
बाजार सेे आ रहा हैै जहांं राव
इंंद्रजीत सिंंह की प्रतिष्ठाा, गरिमाा
ओर स्वाभिमान को यह जमात
एटीएम की तरह चालाकी सेे
अपनेे लिए इस्तेेमाल करती हैै।
ऐसेे बाजारू कार्यकर्ताा धन ओर
बल का भरपूूर इस्तेेमाल करतेे हैंं।
राजनीति मेंं इसकी जरूरत होती हैै इस बार केे
लोकसभा चुुनाव मेंं वेे लगातार
पांंचवी बार सांंसद बनकर
हरियाणा केे पहलेे नेेता ऐसेे नही
बन गए। इस बार केे विधानसभा
चुुनााव मेंं पहली बार हाईकमान नेे
खुुलेे मन सेे उन्हेंं अपनेे हिसाब
सेे टिकट पर अपनी मोहर लगानेे
की अनुुमति दी। इतना सबकुुछ
होनेे केे बावजूूद एक असल सच
यह भी हैै कि रामुुपरा हाउस अब
पहलेे वाला नही रहा। यहा लंंबेे
समय तक बिना स्वार्थ केे जुुड़ेे
उनकेे समर्थथकोंं की मानेे तो इस
बार केे लोकसभा चुुनाव मेंं राव
को इतनेे कम वोटोंं सेे जीत नही
मिलती अगर वेे अपनेे आस
पास चाटुुकारिता की चासनी मेंं
डूूबेे कार्यकता और बाजारू
सोच रखनेे वालोंं पर आंंख मूंंद
कर भरोसा नही करतेे। एक मोटेे
अनुुमान केे अनुुसार 50 प्रतिशत
समर्पिित कार्यकर्ता मौजूूदा हालात
को देेखकर पूूरी तरह सेे खामोश
हैै या फिर चुुपचाप खुुद को एक
दायरेे मेंं सिमेेट चुुकेे हैंं। यही
वजह हैै की राव को एक साथ
अनेेक मोर्चेे पर लड़ना पड़ रहा
हैै। उनकी बेेटी आरती राव इस
परिस्थितियों को बखूूबी समझ चुुकी हैै।
वह कई बाार मीटिंंग मेंं आगाह भी
कर चुुकी हैै की वेे महज चेेहरा
दिखानेे केे लिए उनकेे आस पास
नही मंंडराए। कुुल मिलाकर इस
चुुनााव मेंं राव को चुुनौती विरोधियोंं
सेे ज्यादा रामपुुरा हाउस मेंं फैैल
चुुकेे इन बाजारू कार्यकतार्ओं की
तरफ सेे बनाए माहौल सेे ज्यादा
मिलेेगी। लोकसभा चुुनाव मेंं
इसका आभास हो चुका है
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