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हरियाणा प्रॉपर्टी आईडी सर्वे पर सरकार का एक्शन:घोटाले की शिकायत पर कंपनी ब्लैक लिस्ट; टेंडर एग्रीमेंट के साथ पेमेंट रोकी,88 शहरों में करवाए गए प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में घोटाले की आशंका जाहिर की गई थी, हरियाणा सरकार ने लोकायुक्त के नोटिस पर यह कार्रवाई की,सर्वे में 95% गलतियां



हरियाणा में प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में घोटाले की शिकायत पर सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। सरकार ने कंपनी को ब्लैक लिस्ट करते हुए टेंडर एग्रीमेंट के साथ पेमेंट पर रोक लगा दी है। हरियाणा सरकार ने लोकायुक्त के नोटिस पर यह कार्रवाई की है। जुलाई में इसी साल इस मामले की शिकायत लोकायुक्त कार्यालय में की गई थी। शिकायत में 88 शहरों में करवाए गए प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में घोटाले की आशंका जाहिर की गई थी।

एक RTI एक्टिविस्ट की शिकायत में घोटाले की जांच CBI से करवा कर आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने, सर्वे करने वाली कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने व भुगतान की गई 60 करोड़ रुपए की पेमेंट ब्याज सहित वसूल किए जाने की मांग की थी।

शिकायत में 12 IAS अफसरों के भी नाम
शहरी निकाय मंत्री डॉ. कमल गुप्ता, शहरी निकाय विभाग के तत्कालीन निदेशक सहित 88 अधिकारियों के खिलाफ़ लोकायुक्त कोर्ट में दर्ज शिकायत में 12 IAS अफसरों के नाम भी शामिल हैं। लोकायुक्त जस्टिस हरि पाल वर्मा को आरटीआई दस्तावेज़ों व शपथ पत्र सहित दी शिकायत में पानीपत के आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने आरोप लगाया कि प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय विभाग के अंतर्गत सभी 88 शहरों में करवाए गए प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में बड़ा घोटाला प्रदेश सरकार के संरक्षण में किया गया है।

हरियाणा सरकार के द्वारा सितंबर में जारी किया गया ऑर्डर।
हरियाणा सरकार के द्वारा सितंबर में जारी किया गया ऑर्डर।

सर्वे में 95% गलतियां
शिकायत में कहा गया था कि कंपनी द्वारा किए गए इस सर्वे में 95 प्रतिशत तक गलतियां होने के बावजूद कॉन्ट्रैक्टर फर्म को 60 करोड़ की पेमेंट फर्जी वेरिफिकेशन के आधार पर कर दी। सभी कुल 42.50 लाख संपत्तियों के मालिक इन त्रुटियों को ठीक कराने के लिए परेशान हो रहे हैं। लोगों को दलाल लूट रहे हैं और इस मामले में सरकार के स्तर पर कोई सुनवाई नहीं की जा रही है।

ऐसे किया घोटाला ?
वर्क ऑर्डर की शर्त संख्या 37.6.7 के अंतर्गत कंपनी द्वारा किए प्रॉपर्टी आईडी सर्वे की सभी नगर निगमों के आयुक्तों, नगर परिषदों के ईओ व सभी नगर पालिकाओं के सचिवों ने सर्वे कार्य के सही, गलत होने की मौका वेरिफिकेशन करनी थी। सर्वे कार्य के मौका वेरिफिकेशन सही पाए जाने पर ही ये साइन ऑफ सर्टिफिकेट जारी करने तभी पेमेंट होनी थी, लेकिन सभी 88 शहरों के अधिकारियों ने आंख मूंद कर फर्जी वेरिफिकेशन रिपोर्ट में सर्वे को शत-प्रतिशत सही बताते हुए साइन ऑफ सर्टिफिकेट जारी करके कंपनी को करीब 60 करोड़ की पेमेंट करवा दी।

पेनल्टी नियम में रद्द होना चाहिए ठेका
वर्क ऑर्डर में पेनल्टी नियम के बिंदु संख्या 5 के अनुसार 20 % से ज्यादा त्रुटियां होने पर ठेका रद्द करना था, कंपनी की परफॉर्मेंस बैंक गारंटी जब्त करनी थी, लेकिन 95% सर्वे कार्य गलत होने के बावजूद सरकार ने कुछ नहीं किया। घपले को दबाने के लिए सर्वे का ऑडिट भी नहीं करवाया।

निदेशक के नेतृत्व में गठित मॉनिटरिंग कमेटी व स्टीयरिंग कमेटी भी निष्क्रिय रहीं। वर्क ऑर्डर की शर्तों के अंतर्गत प्रॉपर्टी आईडी सर्वे कार्य के प्रथम चरण का जो कार्य 12 दिसंबर 2019 तक पूरा होना था वह 10 बार एक्सटेंशन देने के बावजूद भी अधूरा व गलत मिला।

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