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Rajasthan Politics: दिल्ली में मीटिंग के बाद इस बड़े मुद्दे पर सचिन पायलट की चुप्पी से कांग्रेस चिंतित, सुलह के दावों पर उठे सवाल


 फोटो सोशल मीडिया 

Rajasthan Politics: राजस्थान में एक ओर जहां कांग्रेस की कलह थमती दिख रही है तो वहीं दूसरी ओर सचिन पायलट के अल्टीमेटम को लेकर भी सवालों का दौर जारी है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्यालय में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, महासचिव केसी वेणु गोपाल, सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच बैठक हुई. इस बैठक के बाद वेणुगोपाल ने मीडिया को जानकारी दी कि पार्टी एकजुट होकर आगामी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ेगी और जीतेगी. हालांकि उन्होंने इस बात का खुलासा नहीं किया कि दोनों नेताओं के बीच समझौते का आधार क्या है.


उधर, सुलह,समौझते और उसके प्रस्ताव पर चर्चा के बीच फिलहाल 30 मई यानी मंगलवार की चर्चा जोरों पर है. दरअसल, इस बैठक से कुछ दिन पहले सचिन पायलट के राज्य की गहलोत सरकार को अल्टीमेटम दिया था कि अगर उनकी मांगों, जैसे- वसुंधरा सरकार के दौरान हुए कथित घोटालों की जांच, मौजूदा सरकार के दौरान पेपर लीक मामले पर अगर पारदर्शी तरीके से जांच शुरू नहीं हुई तो वह आंदोलन जारी रखेंगे. हालांकि उनके अल्टीमेटम वाले दिन से एक दिन पहले सोमवार को दिल्ली में बैठक हुई लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि सचिन पायलट का उनके आंदोलन के प्रति क्या रुख है?

अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सुलह के बाद...
सवाल उठ रहे हैं अगर हाईकमान का दावा है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सुलह हो गया तो आखिर पूर्व डिप्टी सीएम ने अब तक आंदोलन नहीं करने का एलान क्यों नहीं किया. इसके अलावा इस बात की भी चर्चा है कि अगर पायलट, गहलोत के साथ काम करेंगे तो जिन मुद्दों को उन्होंने अपने उपवास और जनसंघर्ष यात्रा के दौरान उठाया, उस पर कांग्रेस नेता का रुख क्या होगा?

माना जा रहा है कि सचिन पायलट के अल्टीमेटम के पहले कांग्रेस की बैठक इसलिए की गई ताकि उन्हें मनाया जा सके. पायलट की यात्रा में लोगों की भारी संख्या को लेकर भी पार्टी चिंतित थी. ऐसे में पार्टी नहीं चाहती थी कि पायलट, 30 मई को प्रदेश भर में आंदोलन का एलान कर दें. पार्टी, पायलट के आंदोलन के पक्ष में इसलिए भी नहीं थी क्योंकि इससे गुटबाजी और बढ़ती और फिर बीजेपी इसे आगामी चुनाव में मुद्दा बनाएगी.


उधर, पायलट की ओर से आंदोलन पर अपनी स्थिति स्पष्ट न करने के बाद असमंजस की स्थिति बनी हुई है. यह देखना दिलचस्प होगा कि पायलट, पार्टी के प्रस्ताव को स्वीकार कर आगे बढ़ते हैं या गहलोत सरकार से उनकी रार जारी रहेगी.

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