पंजाब कांग्रेस की कलह के बीच हरियाणा कांग्रेस में नए समीकरण की कोशिश, भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बदली रणनीति
Haryana Congress: पंजाब कांग्रस में मचे घमासान से हरियाणा के कांग्रस के नेताओं पर असर हुआ है और वे आपसी विवाद को परे रख कर एकजुट होने की कोशिश में हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने विधायकों, पूर्व विधायकों और पार्टी उम्मीदवारों को लंच देने के साथ ही अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। हुड्डा कांग्रेस पार्टी के तमाम धड़ों को साथ लेकर मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने को तैयार हैं। हुड्डा कांग्रेस हाईकमान और प्रदेश के लोगों में पार्टी के एकजुट होने का संदेश देना चाहते हैं। तीन दिन पहले विधायकों को दिया गया भोज हुड्डा की रणनीति का पहला कदम है।
लंच के जरिये तैयार हो गई कांग्रेस के सभी धड़ों को साधकर चलने की रणनीति
भूपेंद्र सिंह हुड्डा को उनके आसपास के विधायक भी राजनीतिक रूप से बहुत गहरा आदमी मानते हैं। हुड्डा सबके मन की बात लेते हैं मगर अपने मन की बात किसी को नहीं देते। कुछ दिन पहले तक हुड्डा खेमे की ओर से प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल और प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा को बदलने की हवा चल रही थी, लेकिन प्रदेश कमेटी व जिलाध्यक्ष के पदों पर हुड्डा की पसंद के लोगों की एडजेस्टमेंट के भरोसे के साथ ही यह विपरीत हवा चलनी बंद हो गई। अब हुड्डा का टारगेट बदलाव से ज्यादा एकजुटता पर है।
कांग्रेस से जुड़े केंद्रीय राजनीतिक मसलों को हुड्डा और प्रदेश में दीपेंद्र संभालेंगे मोर्चा
पंजाब कांग्रेस में चल रही उठापटक के बीच हुड्डा नहीं चाहते कि हरियाणा में उनके विधायकों की वजह से कोई गलत संदेश जाए। इसलिए उन्होंने अपने लंच में विवेक बंसल को भी बुलाया और सैलजा को भी निमंत्रण दिया। कुलदीप बिश्नोई को छोड़कर सारे विधायक आए। लेकिन उनकी गैर मौजूदगी राजनीतिक चर्चा के लिए सोची-समझी रणनीति का हिस्सा रही। इस लंच से पहले कुलदीप को कई बार हुड्डा के साथ देखा गया है। हुड्डा और उनके रणनीतिकारों को यह लगने लगा है कि संगठनात्मक विषयों पर भले ही उनकी राय अलग हो, लेकिन विचारधारा के तौर पर सभी कांग्रेसी एक हैं।
चंडीगढ़ में विधायकों के लंच के दौरान कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा पूरे समय मौजूद रहे। अगले दिन मीडिया संवाद के दौरान भी दीपेंद्र की उपस्थिति पूरे समय देखी गई। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि हुड्डा खेमे की ओर से धीरे-धीरे दीपेंद्र को भी रणनीतिक रूप से आगे किया जा रहा है। केंद्र की राजनीति हुड्डा संभालें और हरियाणा की राजनीति को दीपेंद्र मैनेज करें। कांग्रेस का कोई विधायक ही ऐसा होगा, जो दीपेंद्र के नरम स्वभाव का कायल नहीं है।
दीपेंद्र हुड्डा ने बातचीत के दौरान यह संकेत दिए हैं कि आने वाले समय में कांग्रेस मजबूत विपक्ष की भूमिका में खड़ी नजर आएगी। इसके लिए हम सब कांग्रेसी एक हैं। दीपेंद्र की तरह की यही बात तीन दिन पहले कांग्रेस प्रभारी विवेक बंसल भी कह चुके हैं, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि गुटबाजी दूर करने की पहल कर चुका हुड्डा खेमा संगठन में अहम पदों को लेकर किसी तरह के समझौते के मूड में है। प्रदेश में कांग्रेस विधायकों की संख्या 31 है। इनमें 24 से 26 विधायक हुड्डा के हैं। ऐसे में संगठन में मजबूत हिस्सेदारी की हुड्डा समर्थकों की मांग को गैरवाजिब भी नहीं ठहराया जा सकता
विचारधारा को लेकर कांग्रेसियों में कोई मनभेद नहीं '
'' हरियाणा सरकार ने विधानसभा में झूठ बोला कि आक्सीजन की कमी से कोई नहीं मरा। मेरे फोन की काल रिकार्ड से चेक कर सकते हैं कि उन दिनों कितने फोन आए कि आक्सीजन की कमी चल रही है। किसान संगठनों के आंदोलन को खत्म न कराने की सरकार ने जिद पकड़ी हुई है। भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह भी कह रहे हैं कि किसानों की बात नहीं मानने वालों का भविष्य अच्छा नहीं हो सकता। घोटाले परत दर परत खुल रहे हैं। ऐसे समय में सभी कांग्रेसियों को एकजुट होकर सरकार से लड़ने की जरूरत है। मैं समझता हूं कि हुड्डा साहब ने लंच का आयोजन कर अच्छा संदेश दिया है। हम सब पर बड़ी जिम्मेदारी है। संगठनात्मक विषयों पर अलग-अलग मत हो सकते हैं, मगर विचारधारा को लेकर कोई मनभेद नहीं है।
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