सोमवार को विधायकों की बैठक में सुरजेवाला ने किया था दावा, पायलट कैम्प के तीन विधायकों के गहलोत कैम्प में लौट आने का दावा, बुधवार बीतने के साथ ख़त्म हुई दावे की मियाद
जयपुर
एआईसीसी के तेज़ तर्रार राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के उस दावे की समय सीमा बुधवार का दिन बीत जाने के साथ ही ख़त्म हो गई जिसमे कहा गया था कि सचिन पायलट कैम्प के तीन विधायक गहलोत खेमे में लौट आयेंगे। दावे के मुताबिक़ सचिन पायलट समेत कुल 19 विधायकों में से एक भी विधायक अब तक ना तो गहलोत कैम्प में लौट आया है और ना ही किसी विधायक ने इस बारे में कोई घोषणा तक की है । ऐसे में राष्ट्रीय प्रवक्ता का दावा हवा-हवाई साबित हुआ है।
दरअसल, सुरजेवाला ने सोमवार को होटल फेयरमाउंट में विधायकों को संबोधित करते हुए चौंकाने वाला दावा करते हुए कहा था कि सचिन पायलट के गुट के तीन विधायक उनके संपर्क में हैं और जल्दी ही होटल पहुंच जाएंगे। दावे में उन्होंने यहाँ तक ज़िक्र किया था कि पायलट कैम्प के तीनों ही विधायक 48 घंटे के अंदर होटल फेयर माउंट पहुंच जाएंगे।
हालांकि सुरजेवाला के इस दावे के फ़ौरन बाद पायलट गुट के विधायकों ने भी एक वीडियो सन्देश जारी किया। पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी ने सुरजेवाला के इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए पायलट कैम्प के सभी विधायकों के एकजुट होने की बात कही थी। साथ ही गहलोत कैम्प के 10 से 15 विधायकों के संपर्क में होने और उनके पायलट कैम्प में पहुँचने की बात कहते हुए पलटवार किया था।
लगातार हो रहे दावे
गहलोत सरकार और प्रदेश कांग्रेस पार्टी में मचे घमासान के बीच नेताओं के दावे करना कोई नई बात नहीं है। गहलोत और पायलट गुट दोनों की तरफ से ही एक-दूसरे के विधायकों के संपर्क में होने और पाला बदल लेने के दावे किये जा रहे हैं। हालांकि अभी तक किसी का भी दावा सही साबित नहीं हुआ है। अब सभी की नज़रें 14 अगस्त को विधानसभा सत्र के आहूत होने तक पर टिकी हैं, जिसके बाद ही विधायकों के अपने गुट के साथ बने रहने या फिर पाला बदल लेने की तस्वीर साफ़ हो पाएगी।
गहलोत सरकार और प्रदेश कांग्रेस पार्टी में मचे घमासान के बीच नेताओं के दावे करना कोई नई बात नहीं है। गहलोत और पायलट गुट दोनों की तरफ से ही एक-दूसरे के विधायकों के संपर्क में होने और पाला बदल लेने के दावे किये जा रहे हैं। हालांकि अभी तक किसी का भी दावा सही साबित नहीं हुआ है। अब सभी की नज़रें 14 अगस्त को विधानसभा सत्र के आहूत होने तक पर टिकी हैं, जिसके बाद ही विधायकों के अपने गुट के साथ बने रहने या फिर पाला बदल लेने की तस्वीर साफ़ हो पाएगी।
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