Haryana: लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के पास नहीं दमदार उम्मीदवार, नए चेहरे की तलाश किसी चुनौती से कम नहीं
चंडीगढ़। हरियाणा में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए नये चेहरों को चिन्हित करना कांग्रेस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। कांग्रेस के पास गिने-चुने चेहरे हैं, जो हर बार लोकसभा चुनाव में पार्टी के दमदार चेहरों के रूप में सामने आते हैं। इन चेहरों में कई तो ऐसे हैं, जिनकी लोकसभा चुनाव में कई बार हार हो चुकी है, जबकि कुछ चेहरे लोकसभा की बजाय इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने के ज्यादा इच्छुक हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी को लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों का चयन करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
आवेदकों से कांग्रेस पूछ रही ये खास सवाल
हरियाणा कांग्रेस कमेटी ने अपनी पार्टी में स्वस्थ लोकतंत्र होने की परंपरा का संदेश देते हुए आम कार्यकर्ताओं से भी लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए आवेदन मांगे हैं। सात फरवरी तक यह आवेदन किए जा सकेंगे। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से सोमवार को आवेदन पत्र जारी कर दिया गया है। इस आवेदन पत्र में 16 कॉलम रखे गए हैं
सामान्य जानकारी के अलावा आवेदनकर्ताओं से पूछा गया है कि कांग्रेस में आपकी विशेष उपलब्धियां क्या हैं और क्या आपको कभी पार्टी से बाहर निकाला गया है। यदि कांग्रेस से आपका निष्कासन हुआ है तो उसकी वजह भी बतानी होगी। आवेदनकर्ताओं से पूर्व में लड़ चुके चुनावों का विवरण पूछने के साथ ही यह जानकारी भी मांगी गई है कि उन्हें किसी केस में दो साल या इससे अधिक सजा तो नहीं हुई है।
साल 2019 में कांग्रेस को मिली थी 10 लोकसभा सीटों पर हार
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटें हार गई थी और भाजपा ने इन सीटों पर जीत हासिल की थी। तब अंबाला से कुमारी सैलजा, कुरुक्षेत्र से चौधरी निर्मल सिंह, सिरसा से डॉ. अशोक तंवर, हिसार से भव्य बिश्नोई और करनाल से कुलदीप शर्मा ने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े थे।
सोनीपत से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रोहतक से उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने लोकसभा चुनाव में तोल ठोंकी थी। भिवानी-महेंद्रगढ़ से श्रुति चौधरी, गुरुग्राम से कैप्टन अजय यादव और फरीदाबाद से अवतार भड़ाना कांग्रेस के चेहरे थे। साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के हिसाब से आज राजनीतिक स्थिति काफी बदली हुई है।
अशोक तंवर और भव्य बिश्नोई हो चुके बीजेपी में शामिल
कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके अशोक तंवर और भव्य बिश्नोई भाजपा में शामिल हो चुके हैं। कुमारी सैलजा की इच्छा लोकसभा की बजाय विधानसभा चुनाव लड़ने की ज्यादा है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के भी लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना नहीं है। अवतार भड़ाना की कोई भी राजनीतिक स्थिरता नहीं है। निर्मल सिंह कांग्रेस छोड़कर पहले आम आदमी पार्टी में शामिल हुए और अब वापस कांग्रेस में आ चुके हैं।
नए चेहरे को तलाश रही कांग्रेस
कांग्रेस के पास हाल-फिलहाल कई ऐसे चेहरे हैं, जिन्हें वह लोकसभा चुनाव में उतार सकती है, लेकिन उन्हें चुनाव का जंगी घोड़ा किसी सूरत में नहीं कहा जा सकता। चुनाव लड़ना और हारना उनकी नियती बन चुकी है। कांग्रेस में एक दर्जन नेता ऐसे भी हैं, जिनका नाम हर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में नाम चलता है, लेकिन धरातल पर उनकी स्थिति शून्य है। ऐसे में कांग्रेस के पास नये चेहरों की तलाश के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं रह गया है।
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